21. कुशल और अकुशल श्रम को समान दृष्टि से देखना चाहिये पर पाश्चात्य सभ्यता को ओढ़ चुका समाज यह नहीं समझता। 22. यह नहीं समझना चाहिए कि जो लोग अकुशल श्रम करते हैं वह भी इंसान है कोइ यन्त्र या पालतू पशु नहीं। 23. अंग्रेजी संस्कृति तथा शिक्षा के प्रभाव के चलते हमारे देश में शारीरिक तथा अकुशल श्रम को हेय मान लिया गया हैं। 24. यह नहीं समझना चाहिए कि जो लोग अकुशल श्रम करते हैं वह भी इंसान है कोइ यन्त्र या पालतू पशु नहीं। 25. भारतीय अध्यात्मिक दर्शन के प्रमाणिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता में भी अकुशल श्रम को हेय मानना तामस बुद्धि का प्रमाण माना गया है। 26. मगर जब विदेशी पूंजी आने लगी, वह इस अकुशल श्रम को, छोटे-छोटे उद्योगों को बरदाश्त नहीं कर सकती थी. 27. अकुशल श्रम हमेशा ही मजदूर के हिस्से में आता है और उसे हेय मानने का अर्थ है कि व्यक्ति की बुद्धि तामसी है।28. ये बहुत ख़ुशी का विषय रहा किन्तु अकुशल श्रम जो सिर्फ दूसरों के घर में घरेलु काम करके आजीविका कमा रही हैं. 29. अकुशल श्रम हमेशा ही मजदूर के हिस्से में आता है और उसे हेय मानने का अर्थ है कि व्यक्ति की बुद्धि तामसी है।30. गुजरात में पहले से ही छोटे-छोटे उद्योगों की श्रृंखला रही है, जहां प्रायः अकुशल श्रम के जरिये उत्पादन होता रहा है.