21. तब कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं कि, रुद्र की अक्षि (आँखें) से उत्पन्न होने के कारण इसे रूद्राक्ष कहा गया 22. अक्ष या अक्षि से ही बना है समक्ष (सम + अक्ष) जिसका अर्थ है आंखों के सामने। 23. १ ४-चतुर्दश मुखी रुद्राक्ष रूद्र की अक्षि से उत्पन्न हुआ, वह भगवान का नेत्र-स्वरुप है! ” 24. अक्षि उपनिषद में सूर्य वंदना एवं आंखों के विकारों से बचाव का सरल स्वरूप निर्धारित किया गया है.25. आंख शब्द बना है संस्कृत के अक्षि से जिसका मतलब होता है नेत्र, आंख की पुतली, दो की संख्या अथवा दृश्यमान। 26. अक्षि उपनिषद की यह पंक्ति जो शांति मंत्र के रुप में जानी जाती है, एक प्रार्थना है, एक दुआ है।27. तब कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं कि, रुद्र की अक्षि (आँखें) से उत्पन्न होने के कारण इसे रूद्राक्ष कहा गया 28. वेदों को जानने में सहायक बने उपनिषदों में एक नाम कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अंतर्गत आने वाले अक्षि उपनिषद का भी है. 29. आंख शब्द बना है संस्कृत के अक्षि से जिसका मतलब होता है नेत्र, आंख की पुतली, दो की संख्या अथवा दृश्यमान। 30. अक्षि उपनिषद में दर्शाए गए विचारों को ऋषि सांकृति व आदित्य के मध्य होने वाले प्रश्नोत्तर के माध्यम से समझाया गया है.