यह मान भी लिया जावे कि महावीरप्रसाद के दबाव में आकर उसने फर्दात पर हस्ताक्षर किये तो भी अन्वेषण अधिकारी टेªप दल के सदस्यों और अन्य मौतबिर गवाहों से परिवादी की कोई रंजिश होना स्वयं परिवादी ने अपने बयानों में नही बताया।
22.
अब अन्वेषण अधिकारी पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल आते ही सब से पहले उस वकील को सूचना देता है जिस से उसे कुछ कमीशन मिलने वाला होता है और यह बताता है कि यहाँ मृतक के रिश्तेदार मौजूद हैं, वह आ कर मुकदमा हासिल कर ले।
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अब अन्वेषण अधिकारी पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल आते ही सब से पहले उस वकील को सूचना देता है जिस से उसे कुछ कमीशन मिलने वाला होता है और यह बताता है कि यहाँ मृतक के रिश्तेदार मौजूद हैं, वह आ कर मुकदमा हासिल कर ले।
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अतः अन्वेषण अधिकारी द्वारा यदि निष्पक्ष होकर अन्वेषण किया गया है और टेªप कार्यवाही की पुष्टि स्वतन्त्र मौतबिर साक्ष्यगण तथा टेªप दल के सदस्यों ने की है तो यह माना जा सकेगा कि परिवादी ने अभियुक्त के दबाव में आकर अपने बयान बदले है और झूठी साक्ष्य न्यायालय में देने की कौशिश की है।
25.
(धारा 6 से 17 तक) घ. संचार का अवरोधन (इन्टरसेप्शन): इस कानून के अन्तर्गत अन्वेषण अधिकारी के अनुरोध के सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्राधिकृत होने पर तार माध्यम से या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से या मौखिक किए जा रहे संचार का अवरोधन किया जा सकता था यदि यह विश्वास हो कि ऐसा अवरोधन इस अधिनियम के अंतर्गत किसी अपराध के लिए सबूत जुटा सकता है।
26.
आपराधिक प्रकरण संख्या 53 / 2006 राज्य विरूद्ध रामप्रकाश विश्नोई पी. डब्ल्यू. 11 भगवतसिंह ने अन्वेषण अधिकारी के रूप में यह कथन किया कि दिनांक 24-11-2004 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो चौकी, जोधपुर के पद पर था उस दिन परिवादी बालमुकन्द ने चौकी जोधपुर में उपस्थित होकर उसके समक्ष एक लिखित रिपोर्ट प्रदर्श पी. 1 पेश की जिस पर जी से एच पृष्ठांकन और आई से जे हस्ताक्षर इस गवाहके है।
27.
टेªप अधिकारी महावीरप्रसाद, अन्वेषण अधिकारी भगवतसिंह एवं स्वतन्त्र मौतबिर साक्षीगण ने प्रथम सूचना रिपोर्ट की पुष्टि की है और टेªप अधिकारी द्वारा की गई टेªप कार्यवाही व बरामदगी के तथ्य को स्वतन्त्र साक्षी ने ताईद की है और परिवादी की साक्ष्य को पूर्व में अविश्वनीय माना जा चुका है अतः साक्ष्य में जो विरोधाभास है वे तुच्छ प्रकृति के है जिनके साक्ष्य में आने से गवाह पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।
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अतः जब अन्वेषण अधिकारी द्वारा न तो मौके का कोई नक्शा आदि बनाया गया और न ही इस संदर्भ में प्रत्यक्षदर्शी साक्षी, थाने के किसी अधिकारी अथवा क्लेमेंट का कोई बयान लिया, तो उस दशा में अन्वेषण अधिकारी का यह कह देना कि मृतक जय सिहं बिष्ट एवं कु0 गीता बिष्ट प्रश्नगत कैटर में सवारी कर रही थी, विश्वसनीय नहीं है और कथित अन्वेषण आख्या भी अन्वेषणकर्ता द्वारा हल्द्वानी में अपने कार्यालय में तैयार की गई है।
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अतः जब अन्वेषण अधिकारी द्वारा न तो मौके का कोई नक्शा आदि बनाया गया और न ही इस संदर्भ में प्रत्यक्षदर्शी साक्षी, थाने के किसी अधिकारी अथवा क्लेमेंट का कोई बयान लिया, तो उस दशा में अन्वेषण अधिकारी का यह कह देना कि मृतक जय सिहं बिष्ट एवं कु0 गीता बिष्ट प्रश्नगत कैटर में सवारी कर रही थी, विश्वसनीय नहीं है और कथित अन्वेषण आख्या भी अन्वेषणकर्ता द्वारा हल्द्वानी में अपने कार्यालय में तैयार की गई है।
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अतः जब अन्वेषण अधिकारी द्वारा न तो मौके का कोई नक्शा आदि बनाया गया और न ही इस संदर्भ में प्रत्यक्षदर्शी साक्षी, थाने के किसी अधिकारी अथवा क्लेमेंट का कोई बयान लिया, तो उस दशा में अन्वेषण अधिकारी का यह कह देना कि मृतका कु0 गीता बिष्ट व जय सिहं बिष्ट प्रश्नगत कैटर में सवारी कर रहे थे, विश्वसनीय नहीं है और कथित अन्वेषण आख्या भी अन्वेषणकर्ता द्वारा हल्द्वानी में अपने कार्यालय में तैयार की गई है।
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