21. भावना करें कि इन गौ द्रव्यों को दिव्य चेतना से अभिमन्त्रित कर रहे हैं ।। 22. आवश्यकता पड़ने पर २१ बार गुड़ को अभिमन्त्रित कर, जिसे वशीभूत करना हो, उसे खिलाए। 23. फिर २१ बार पानी को अभिमन्त्रित कर रोगी को पिलावें, तो दाद रोग जाता है। 24. वेद समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः मैं तुम सबको समान मन्त्र से अभिमन्त्रित करता हूं । 25. बाद में मिश्री या कोई वस्तु को इस मन्त्र से 21 बार अभिमन्त्रित कर दें। 26. वेद: समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः मैं तुम सबको समान मन्त्र से अभिमन्त्रित करता हूं । 27. रविवार के दिन काले उड़द के दानों पर सिन्दूर लगाकर उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करे। 28. भावना करें कि इन गौ द्रव्यों को दिव्य चेतना से अभिमन्त्रित कर रहे हैं । 29. पीली सरसों अभिमन्त्रित करके उसे पीसकर दशों इन्द्रियों के द्वार पर थोड़ा-थोड़ा लगा देना चाहिये। 30. वज्रकीर्ति! प्राचीन किरीटी-तरु! अभिमन्त्रित वीणा! ध्यान-मात्र इनका तो गदगद कर देने वाला है।