21. अहिंसा-धर्म के महान प्रचारक महावीर की तपोभूमि; अष्टांगिक मार्ग के संशोधक बुद्ध भगवान की विहार-भूमि। 22. ग्रंथ में बौद्धदर्शनसम्मत त्रिशरण, चार आर्यसत्य तथा अष्टांगिक मार्ग का तो उल्लेख है ही (गा. 23. चार आर्य सत्य अर्थात दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। 24. अष्टांगिक मार्ग के अंग हैं-सम्यक् दृष्टि,.संकल्प,.वाक्,.कर्मां,.आजीव,.यायाम,.स्मृति और.समाधि।25. उनके यह आठ उदाहरण १) आर्य अष्टांगिक मार्ग के एवज में पंचशील को प्रचारित करना. 26. उन्होंने जीवन सुधारने के लिये किसी कर्म काण्ड का विधान करने की बजाय अष्टांगिक मार्ग प्रतिपादित किया। 27. इन दोनों अंतों को त्याग कर मध्यमा प्रतिपदा का मार्ग (अष्टांगिक मार्ग ) ग्रहण करना चाहिए। 28. ग्रंथ में बौद्धदर्शनसम्मत त्रिशरण, चार आर्यसत्य तथा अष्टांगिक मार्ग का तो उल्लेख है ही (गा. 29. गौतम बुद्ध के मत में अष्टांगिक मार्ग ही वह मध्यम मार्ग है जिससे दुःख का निदान होता है। 30. उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का सुझाव दिया जिसका पालन करके मनुष्य पुनर्जन्म के बंधन से दूर हो सकता है-