21. वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। 22. आपने जो व्याख्या प्रस्तुत की उसके अनुसार, हज़रत इबराहीम नें एकेश्वरवाद और अमूर्तिपूजक समाज की स्थापना के मिशन से और ईश्वर की प्रेरणा से …… 23. वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। 24. वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए, किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। 25. वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। 26. नराशंस के लिए दस मालाएँ ईश्वर की प्रेरणा से प्रदान किए जाने का उल्लेख अथर्ववेद के बीसवें काण्ड के एक सौ सत्तइसवें सूक्त, तीसरे मन्त्र में हुआ है। 27. नराशंस के लिए दस मालाएँ ईश्वर की प्रेरणा से प्रदान किए जाने का उल्लेख अथर्ववेद के बीसवें काण्ड के एक सौ सत्तइसवें सूक्त, तीसरे मन्त्र में हुआ है। 28. जो ईश्वर की प्रेरणा पर चलते हैं वे अनजाने ही अदृश्य रूप से चर्च के अपूर्ण सदस्य बन जाते हैं और ईसा द्वारा प्रदत्त मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। 29. जो ईश्वर की प्रेरणा पर चलते हैं वे अनजाने ही अदृश्य रूप से चर्च के अपूर्ण सदस्य बन जाते हैं और ईसा द्वारा प्रदत्त मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। 30. अपने मन से ही आदमी कुछ बात सोच लेता है और कहता है कि जो उसके मन में आता है, वह ईश्वर की प्रेरणा से ही आता है।