21. रसपंक-ऊपर बताई गई विधि के अनुसार बनाई गई कज्जली में द्रव पदार्थ मिलाकर घोटने पर उसे रसपंक कहते हैं। 22. प्रथम पारे गन्धक की कज्जली बना उसमें अन्य द्रव्यों का कपड़छन चूर्णमिला, अनन्नास के पत्तों के रस में एक दिन मर्दन कर ५००-५०० मि. 23. ऊपर के वर्णन में गुडूची, कज्जली , बंघोरा, सुर्खी एवं जानु रोचन मिला देने से पुन्शार्बुद को समूल नष्ट कर देता है। 24. श्रवण मास कि शुक्ल पक्ष की तृ्तीया को छोटी तीज व भाद्रपद की तृ्तीया को बडी तीज अर्थात कज्जली तीज का पर्व मनाया जाता है. 25. जमालगोटा सम भाग लें. गन्धक की कज्जली करें. फिर भस्म और शेष द्रव्यों कावस्त्रपूत चूर्ण क्रमशः मिलाकर गोघृत से स्नेहाक्त करके १ प्रहर मर्दन कर १२५मि. 26. Kajari Teej-Kajjali Teej कज्जली तीज:-27 अगस्त 2010 भाद्रपद कृष्ण तृ्तीय तीथि (इस वर्ष इस तिथि का क्षय रहेगा.) 27. किन्तु यदि ग्यारहवें भाव में भी कोई कज्जली कृत ग्रह ही होगा, तो पांचवें भाव में बैठा ग्रह कोई प्रकाश संकलित नहीं कर पायेगा. 28. श्रवण मास कि शुक्ल पक्ष की तृ्तीया को छोटी तीज व भाद्रपद की तृ्तीया को बडी तीज अर्थात कज्जली तीज का पर्व मनाया जाता है. 29. केसर, कज्जली , बहेड़ा, कस्तूरी, छोटी इलायची, जायफल और लौंग को बराबर मात्रा में मिलाकर 7 दिन तक सौंफ के काढ़े में मिलाकर और घोटकर तैयार कर लें। 30. शुद्ध पारद और शुद्ध गंधक 5-5 ग्राम लेकर, खरल में कज्जली कर लें और उसे 30 ग्राम असली जवाखार (यवक्षार) में मिलाकर, ठीक से खरल करके रखें।