21. सर्दी के दिनों में कटि-स्नान के 2 घंटे बाद और गर्मियों के दिनों में कटि-स्नान के 1 घंटे बाद या पहले साधारण स्नान करें। 22. सर्दी के दिनों में कटि-स्नान के 2 घंटे बाद और गर्मियों के दिनों में कटि-स्नान के 1 घंटे बाद या पहले साधारण स्नान करें। 23. कटि-स्नान की दूसरी विधि में नाभि के निचले भाग के अतिरिक्त शरीर के अगल-बगल तथा पीठ के भाग को भी रगड़ कर धोया जाता है।24. आंतों में किसी भी प्रकार की खराबी, उसमें एकत्रित मल आदि को दूर करने के लिए प्रतिदिन 2 बार कटि-स्नान करने से लाभ होता है। 25. कटि-स्नान करने के बाद एनिमा क्रिया ली जा सकती है परन्तु कटि-स्नान के कम-से-कम 2 घंटे बाद यदि एनिमा लिया जाए तो अधिक लाभ होता है।26. कटि-स्नान करने के बाद एनिमा क्रिया ली जा सकती है परन्तु कटि-स्नान के कम-से-कम 2 घंटे बाद यदि एनिमा लिया जाए तो अधिक लाभ होता है। 27. कटि-स्नान पेट को साफ करने के साथ-साथ जिगर, तिल्ली एवं अंतड़ियों के रक्तस्राव को भी बढ़ाता है, जिससे रोगी की पाचनशक्ति में सुधार होता है।28. कभी-कभी कमजोर व्यक्ति के पैर हमेशा ठंडे होते हैं अत: ऐसे रोगी को पैरों में मौजे पहनकर या पैरों को कपड़े से ढककर ही कटि-स्नान करना चाहिए। 29. कटि-स्नान के लिए नल तथा शहरों में सप्लाई के पानी को लाभकारी नहीं माना जाता क्योंकि उस पानी में क्लोरीन तथा फिटकरी जैसे तत्वों को मिलाया जाता है।30. सर्दी के दिनों में कटि-स्नान में परेशानी न हो इसलिए स्नान करने वाले कमरे में 1 या 2 जलते हुए कोयले की अंगीठी रखकर स्नान किया जा सकता है।