21. निगलने की हर क्रिया में क्रमाकुंचन की एक प्रतिवर्ती तरंग पैदा होती है जो ग्रासनली की पूरी लंबाई में फैल जाती है। 22. क्रमाकुंचन के द्वारा इस मिश्रण को आंत में भेजा जाता है जहां उपयोगी बैक्टीरिया रासायनिक विभाजन की प्रक्रिया को जारी रखते हैं.23. क्रमाकुंचन के द्वारा इस मिश्रण को आंत में भेजा जाता है जहां उपयोगी बैक्टीरिया रासायनिक विभाजन की प्रक्रिया को जारी रखते हैं.24. तंत्रिकाओं द्वारा ग्रासनली के ऊपर के लगभग दो तिहाई भाग में क्रमाकुंचन होता है जो ऊसकी भित्तियों की पेशियों को जागृत करती है। 25. क्रमाकुंचन के द्वारा इस मिश्रण को आंत में भेजा जाता है जहां उपयोगी बैक्टीरिया रासायनिक विभाजन की प्रक्रिया को जारी रखते हैं.26. बृहदान्त्र की दीवारों पर पेशी संकुचन की लहरें जिन्हें क्रमाकुंचन कहते हैं, मल को पाचन नली के माध्यम से मलाशय की ओर ढकेलता है. 27. नाभि से नीचे के भाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ने से आँतों की क्रमाकुंचन गति बढ़ती है और क़ब्ज़ की शिकायत दूर होती है. 28. बृहदान्त्र की दीवारों पर पेशी संकुचन की लहरें जिन्हें क्रमाकुंचन कहते हैं, मल को पाचन नली के माध्यम से मलाशय की ओर ढकेलता है. 29. चिकनी पेशी से बने इस परत में नियतकालिक क्रमाकुंचन संकुचन (periodic peristaltic contractions) होते रहते हैं जिससे मूत्र मूत्राशय में पहुंचता रहता है। 30. इसके बाद भोजन ग्रसनी से होकर बोलस के रूप में ग्रसिका में प्रवेश करता है, जो आगे क्रमाकुंचन द्वारा आमाशय तक ले जाया जाता है।