21. इन सात रचनाओं में तीन नाटक, दो महाकाव्य तथा दो गीति काव्य हैं। 22. वाणी हिन्दी का गीति काव्य संस्कृत, अपभ्रंश, प्राकृत दंगल तथा शौरसेनी की विरासत के 23. गीति काव्य की सभी विशेषताएँ बैरागी के गीतों में पूर्ण रूप में पाई जाती हैं।24. बक़ौल लेखक, समकालीन गीति काव्य में संवेदना और शिल्प की भूमिका सर्वोपरि है. 25. उन्होंने अपने वक़्त के गीति काव्य के परिवर्तनों को अच्छी तरह देखा और परखा है. 26. परंतु छायावाद के इतिहास को जानने से पहले गीति काव्य के बारे में जनना उचित होगा. 27. छायावादी गीति काव्य की प्रेरणा भूमि अनामिका आज छायावाद के इतिहास की बात शुरु करते हैं. 28. भदौरिया जी के गीति काव्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन है उसमें व्याप्त आंचलिकता का गहरा समावेश। 29. वर्तमान में जितना च्वैविध्य हिन्दी गीति काव्य में है, विश्व की अन्य किसी भाषा में नहीं है। 30. गीतकारों द्वारा किये गये ये परिवर्तन समकालीन गीति काव्य को एक नई भूमिका में प्रस्तुत करते हैं।