21. वर्ष ३ ६ ५. २ ४ २२ दिनों का और चंद्र मास २ ९. 22. से 16 सितंबर तक सूर्य संक्रांति का अभाव है जिस कारण भादो चंद्र मास अधिमास हुआ है। 23. तिथियों की उत्पत्ति चंद्रमा की कलाओं से होने के कारण शुक्लपक्ष-कृष्णपक्ष एवं चैत्र-वैशाख आदि चंद्र मास का सृजन होता है। 24. मास के कम-अधिक होने की व्यवस्था चंद्र मास में ही होती है, लेकिन यह निर्णय सूर्य संक्रांति से होता है। 25. कृष्ण पक्ष में हरेक चंद्र मास का चौदहवां दिन या अमावस्या से एक दिन पूर्व शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। 26. ५ ३ ० ५ ९ सौर दिन, सौर वर्ष में चंद्र मास = १ २. ३ ६ ८ २ ७ 27. अर्थात प्रत्येक ढाई से तीन वर्ष के अंतराल में एक सौर वर्ष में 12 वे स्थान पर 13 चंद्र मास होते हैं। 28. सामान्यतः प्रत्येक माह में संक्रांति अर्थात सूर्य का राशि परिवर्तन एक बार अवश्य रहने से चंद्र मास की प्रक्रिया सहज चलती रहती है। 29. सामान्यतः प्रत्येक माह में संक्रांति अर्थात सूर्य का राशि परिवर्तन एक बार अवश्य रहने से चंद्र मास की प्रक्रिया सहज चलती रहती है। 30. इस प्रकार प्रत्येक चंद्र मास में एक संक्रांति अवश्य होती है तथा एक सौर मास में एक पूर्णमासी एवं एक अमावस्य अवश्य होती है।