21. क्या कोई भी सुखद अनुभूति ऐसी होती है, जिसका आरम्भ और अन्त दुःखमय न हो । 22. यदि विवाह रेखा आगे जाकर कई भागों में विभक्त हो जाए तो वैवाहिक जीवन अत्यंत दुःखमय होता है। 23. अत: अनुकूल तथा प्रतिकूल अर्थात् सुखमय तथा दुःखमय प्रत्येक परिस्थिति में उन्नति के लिए स्थान है ; 24. गहराई से देखिए, कर्म से उत्पन होने वाली प्रत्येक परिस्थिति तथा अवस्था दुःखमय व अपूर्ण है । 25. यह जीवन तभी तक दुःखमय दिखता है, जब तक कि हम इसमें अपना जीवन होम नहीं करते। 26. यह तो स्पष्ट ही है कि परिस्थिति चाहे जैसी हो, या तो सुखमय होगा या दुःखमय । 27. येसु मनुष्यों की मुक्ति के लिए अपने सनातन पिता के चरणों में अपने दुःखमय अंगों को समर्पित करते हैं। 28. आत्मा शुभ, शरणभूत, सुखमय, निरंतर है जबकि काया असुचि, अषरण, दुःखमय , अनित्य है। 29. उस दुःखमय अवस्था में भी आप अपने से अधिक दुखियों को देखकर सुख का रस ले लेते हैं । 30. किसी अप्रिय सत्य का यथा तथ्य वर्णन कर देना जीवन को दुःखमय या नैराश्यपूर्ण दृष्टि से देखना नहीं है।