21. अभी तक जिस कलैण्डर की चर्चा हमने की वह पृथ्वी की दैनिक गति व वार्षिक गति के कारण है। 22. यह 166 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है तथा 12. 7 घंटे में अपनी दैनिक गति पूरा करता है। 23. पृथ्वी जिस मार्ग पर अपनी दैनिक गति से सूर्य के चारों ओर घूम रही है उसे क्रान्तिवृत कहा जाता है। 24. पृथ्वी की दैनिक गति के कारण बारह राशियों का चक्र (zodiac) चौबीस घंटों में हमारे क्षितिज का एक चक्कर लगा आता है। 25. इसकी दैनिक गति के कारण दिन और रात का अस्तित् व है, वार्षिक गति के कारण इसके ऋतु परिवर्तन का चक्र। 26. पृथ्वी की दैनिक गति के कारण यह बिंदु पूर्व से पश्चिम की ओर 24 घंटे में पृथ्वी की सतह पर एक चक्कर लगा लेता है। 27. इसी प्रकार पृथ् वी की दैनिक गति के कारण सूर्य की स्थिति में होने वाले परिवर्तन को भी हम सहज ही महसूस कर सकते हैं। 28. केतु का शाब्दिक अर्थ है ध्वजा | केतु की दैनिक गति राहू के समान है इसका भ्रमण समय और दिशा सभी राहू की तरह हैं। 29. इसकी वजह पृथ् वी की इतनी तेज गति मानी जा सकती है, दैनिक गति के कारण पृथ् वी 1669 किमी प्रतिघंटे के रफ्तार से चलती है। 30. मौसम (= हवा + सूर्य का ताप + चन्द्रमा की शीतलता + पृथ्वी की दैनिक गति + आकाश की छटा) को टहलने के दौरान महसूस कीजिए।