21. शेक्सपियर के सॉनेट अष्टपदी और षष्टपदी के बजाय तीन चतुष्पदियों और एक द्विपदी लय से बँधे हैं। 22. -एक पदी, द्विपदी सा चतुष्पदी अर्थात वाक तत्व के एक दो और चार विभालजन किये गये हैं। 23. द्विपदी राशि के कारण नाना प्रकार के आसन में रूचि नहीं होती हैं, मानवोचित संभोग लीला करते हैं।24. इन आधारों पर खरा ण होने के कारण निम्न पंक्तियाँ दोहा नहीं हैं, उन्हें द्विपदी (दोपदी) कह सकते है. 25. हिन्दी में सम पदांत-तुकांत की रचनाओं को मुक्तक कहा जाता है क्योकि हर द्विपदी अन्य से स्वतंत्र (मुक्त) होती है. 26. लिहाजा हिन्दी कविता जुबान पर चढ़ने से रह गई जब कि द्विपदी शेरो-शायरी का दामन पकड़ उर्दू कविता लोकप्रिय बनी रही। 27. लिहाजा हिन्दी कविता जुबान पर चढ़ने से रह गई जब कि द्विपदी शेरो-शायरी का दामन पकड़ उर्दू कविता लोकप्रिय बनी रही। 28. इस पाठ को समाप्त करने के पूर्व श्रीमद्भागवत की एक द्विपदी पढिये जिसे वर्तमान दोहा का पूर्वज कहा जा सकता है- 29. इसे हिंदी ग़ज़ल या मुक्तिका कहना उचित होगा चूंकि इसके हर द्विपदी अन्यों से अलग भाव-भूमि पर होने के कारण मुक्त है. 30. २-ॐ ऊर्जे द्विपदी भवः-इस दूसरे फेरे में हम यह निश्चय करते हैं कि हम दोनों साथ साथ आगे बढ़ेंगे.