भगवान विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान को सोया हुआ देखा तो एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान विष्णु को जगाने के लिए उनके नेत्रों में निवास करने वाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया।
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भगवान् विष्णु के नाभिकमल में विराजमान प्रजापति ब्रह्माजी ने जब उन दोनों भयानक असुरों को अपने पास आया और भगवान् को सोया हुआ देखा, तब एकाग्रचित्त होकर उन्होंने भगवान् विष्णु को जगाने के लिये उनके नेत्रों में निवास करनेवाली योगनिद्रा का स्तवन आरम्भ किया।
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हृत्पुण्डरीकनिलयं जगदेकमूलमालोकयन्ति कृतिनः पुरुषं पुराणम्॥ अर्थात्-भगवान क्षीर सागर में शेषनाग पन सोये हुए हैं, लक्ष्मी रूपिणी प्रकृति उनकी पादसेवा कर रही है, उनके नाभिकमल से चतुर्मुख ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई है, उनका रंग घननील है, उनके हाथ हैं जिनमें शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित हैं-वे जगत् के आदि कारण तथा भक्त-जन हृत्सरोज बिहारी हैं ।।
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इसलिए यह जानते हुए कि प्रकृति में विविधता, शून्य से अनंत आकार आदि, उपस्थित हैं, और मानव महाशून्य का प्रतिरूप है जान, गहराई में जा, ' धनुर्धर राम ' को “ विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न ब्रह्मा ” यानि पृथ्वी पर सर्वोच्च स्तर तक विकसित शक्ति के स्रोत सूर्य का प्रतिरूप जाने, जबकि पृथ्वी और उसके केंद्र, जहां गुरुत्वाकर्षण की शक्ति केन्द्रित है, उनको क्रमशः विष्णु और शि व...
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वेद श्रुत ज्ञान थे-लिखे तो बहुत बाद में गए-सुन कर ही प्राप्त हुए-पहले श्री विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा आये-उन्होंने ध्यान किया-विष्णु ने उन्हें वेद दिए-फिर ब्रह्मा ने अपने मानस पुत्रों को-ऐसे यह परंपरा बढ़ी | लिखे तो बहुत समय बाद में वेदव्यास जी के द्वारा गए | तो बिना गुरु परंपरा के सिर्फ मन मर्जी अर्थों के translations से इन्हें समझा ही नहीं जा सकता |
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, और ब्रह्मा को विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न कमल के फूल पर (आकाश में) विराजमान होने को, और पार्वती को सती की मृत्योपरांत शिव को अपने कंधे पर उठा तांडव करना और सती के ५ १ भाग कर विष्णु द्वारा उनके क्रोध को शांत करना और कालांतर में सती के ही एक रूप पार्वती से विवाह करना दर्शाता है चंद्रमा का पृथ्वी के ही गर्भ से उत्पन्न हो उसका एक उपग्रह बन जाना (जैसा आधुनिक वैज्ञानिक मान्यता भी है)...
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देखें, जानकारों से न सीखें-तो हम नहीं जान सकते-वही बात वेदों के साथ भी लागू है | वेद श्रुत ज्ञान थे-लिखे तो बहुत बाद में गए-सुन कर ही प्राप्त हुए-पहले श्री विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा आये-उन्होंने ध्यान किया-विष्णु ने उन्हें वेद दिए-फिर ब्रह्मा ने अपने मानस पुत्रों को-ऐसे यह परंपरा बढ़ी | लिखे तो बहुत समय बाद में वेदव्यास जी के द्वारा गए | तो बिना गुरु परंपरा के सिर्फ मन मर्जी अर्थों के
नाभिकमल sentences in Hindi. What are the example sentences for नाभिकमल? नाभिकमल English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.