21. 1-शिक्षा, 2-कल्प, 3-निरुक्ति , 4-छंदशास्त्र, 5-ज्योतिष, 6-व्याकरण. 22. डा. फतहसिंह के अनुसार वाज शब्द की निरुक्ति वा-अज है, अर्थात् ऐसा बल जो विकल्प से अज है । 23. ' ' वरं श्रेष्ठ परमेष्ठिनं प्रजापति ददाति साक्षात्कारयति '' इस निरुक्ति से तो परम पिता परमात्मा का साक्षात्कार कराने वाली प्रतिपादित होती है ।। 24. वडनेरकर की शब्द निभाने की ख़ूबसूरती इस बात में है कि वह निरुक्ति सुलझाने के लिए शब्द के मूल में गहरा उतर जाता है। 25. व डनेरकर की शब्द निभाने की ख़ूबसूरती इस बात में है कि वह निरुक्ति सुलझाने के लिए शब्द के मूल में गहरा उतर जाता है। 26. व डनेरकर की शब्द निभाने की ख़ूबसूरती इस बात में है कि वह निरुक्ति सुलझाने के लिए शब्द के मूल में गहरा उतर जाता है। 27. ' स्वस्तिक ' शब्द की निरुक्ति है-' स्वस्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिकः ' अर्थात् ' कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है। 28. आखिर धर्म ही क्यों? संस्कृत व्याकरण के नियम “ निरुक्ति ” के अनुसार धर्म शब्द की व्युत्पत्ति “ धृ ” धातु से हुयी है । 29. पीपल का नाम अश्वत्थ वेद में आया है जिसकी निरुक्ति वा अर्थ इस प्रकार किया है-“ अश्वत्थः श् वः स्थास्यति न स्थास्यति वा ” । 30. मान्धाता की एक निरुक्ति इस प्रकार कर सकते हैं कि जो मान को, मन के बृहद् रूप को धारण करता हो, वह मान्धाता है ।