21. ये संभवतः नारंगी रंग के बाघ हैं जो एक प्रतिसारी पित्रैक के रूप में धारीविहीन सफ़ेद पित्रैक का वहन करते हैं. 22. ये संभवतः नारंगी रंग के बाघ हैं जो एक प्रतिसारी पित्रैक के रूप में धारीविहीन सफ़ेद पित्रैक का वहन करते हैं. 23. ये संभवतः नारंगी रंग के बाघ हैं जो एक प्रतिसारी पित्रैक के रूप में धारीविहीन सफ़ेद पित्रैक का वहन करते हैं. 24. पैपिलियो पौलीटैस का अनुकारी रूप एक जोड़ा पित्रैक (जीन) के कारण विकसित होता है, जो साधारण पित्रैंको को दबा देता है। 25. यह नर में भी वर्तमान रहता है, किंतु इसका प्रभाव नर में विद्यमान एक अन्य दमनकारी पित्रैक के कारण अनुहरण नहीं है। 26. यह नर में भी वर्तमान रहता है, किंतु इसका प्रभाव नर में विद्यमान एक अन्य दमनकारी पित्रैक के कारण अनुहरण नहीं है। 27. एक बाघ विषमयुग्मजी (विषमयुग्मज) है या समयुग्मजी (समयुग्मज), यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस पित्रैक पर चर्चा की जा रही है. 28. एक बाघ विषमयुग्मजी (विषमयुग्मज) है या समयुग्मजी (समयुग्मज), यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस पित्रैक पर चर्चा की जा रही है. 29. मालूम होता है कि लगातार अन्तःसंयोग की वजह से ही प्रतिसारी पित्रैक की उत्पत्ति हुई है जिसकी वजह से यह धारीविहीनता देखने को मिलती है. 30. मालूम होता है कि लगातार अन्तःसंयोग की वजह से ही प्रतिसारी पित्रैक की उत्पत्ति हुई है जिसकी वजह से यह धारीविहीनता देखने को मिलती है.