21. राजकुल का यह शोक ऐसा शोक है जिसके भागी केवल पुरवासी ही नहीं, 22. जो कथा स्कन्द पुराण के नाम से अनादि पुरवासी ब्राह्मणों के विषय में ‘ 23. राम जानकी की छवि को एकटक निहारते हुए पुरवासी नर-नारी विदेह से हो गए। 24. वे भरत से मिलते हैं, और एक एक पुरवासी से भी मिलते हैं. 25. पिछले 24 वर्षों से संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका ‘ पुरवासी ' का सम्पादन। 26. उनके पीछे अन्य अनेक रथों पर माताएँ, गुरु, पुरोहित, मन्त्रीगण तथा अन्य पुरवासी चले। 27. उनके पीछे चलने वाले रथों पर माताएँ, गुरु एवं पुरोहित, मन्त्रीगण तथा अन्य पुरवासी चले। 28. पुरवासी लोग जोहार (वंदना) करके अपने-अपने घर लौटे और श्री रामचन्द्रजी संध्या करने पधारे॥ 3 ॥29. पुरवासी , कुटुम्बी, गुरु, पिता-माता सभी को श्री रामजी का स्वभाव सुख देने वाला है॥ 3 ॥30. पुरवासी भी ऊँट को देख कर विनयपूर्वक सड़के के किनारे खड़े हो जाते और उस का अभिवादन करते थे।