21. मुद्दा यह है कि स्वयं मानव जीवन में और सामाजिक जीवन की दशाओं में प्रत्ययवाद की निश्चित जड़ें विद्यमान हैं। 22. कांट का प्रत्ययवाद अभौतिकवाद न था, उसकी धारणा थी कि ज्ञान के निर्माण में मन का योगदान अनिवार्य अंश है। 23. कांट का प्रत्ययवाद अभौतिकवाद न था, उसकी धारणा थी कि ज्ञान के निर्माण में मन का योगदान अनिवार्य अंश है। 24. ये विज्ञानवाद तथा प्रत्ययवाद का खंडन करते हुए केवल वस्तुवाद के आधार पर ज्ञान की उत्पत्ति की व्याख्या करते हैं। 25. कांट का प्रत्ययवाद अभौतिकवाद न था, उसकी धारणा थी कि ज्ञान के निर्माण में मन का योगदान अनिवार्य अंश है। 26. द्वेतवाद का कोई स्वाधीन महत्व नहीं है क्योंकि इसके महान प्रवक्ता देर-सवेर या तो प्रत्ययवाद की स्थिति पर जा पहुंचे या भौतिकवाद की। 27. जर्मनी का प्रत्ययवाद -इमानुएल कांट (1722-1804) ने विवेकवाद और अनुभववाद की पृथक् धाराओं को मिलाकर उन्हें एक नदीतल पर बहाने का यत्न किया। 28. प्रत्ययवाद , भाववाद या अध्यात्म का पिछड़ापन व रूढि़वाद हमेशा शासक वर्ग के संरक्षण में फला-फूला और इसने उसी वर्ग की सेवा भी की है।29. डा. सेवा सिंह ने भारतीय भाववाद, प्रत्ययवाद के दर्शन के विकास को व उसके सामाजिक आधार को भी समझने की कोशिश की है। 30. उसके भौतिकवाद के विरूद्ध याज्ञवलक्य ने तत्काल ही कर्म, संसार और मोक्ष के सिद्धांत के साथ-साथ भारत के सबसे प्राचीन प्रत्ययवाद का सिद्धांत दिया.