21. पुराने प्रसारी सिद्धान्त के अनुसार इस काल में जैसा भी प्रसार हुआ उससे आज का समांगी ब्रह्माण्ड नहीं निकलता। 22. अतएव मूल प्रसारी ब्रह्माण्ड सिद्धान्त का इस तरह की अपवाद-सी घटनाओं को समझाने के लिये परिवर्धन किया जा रहा है। 23. प्रसारी सिद्धान्त के यह दो-अवरक्त विस्थापन तथा प्रसार-वे आधार स्तम्भ हैं जिन पर प्रसारी सिद्धान्त खड़ा है।24. प्रसारी सिद्धान्त के यह दो-अवरक्त विस्थापन तथा प्रसार-वे आधार स्तम्भ हैं जिन पर प्रसारी सिद्धान्त खड़ा है। 25. प्रसारी सिद्धान्त के यह दो-अवरक्त विस्थापन तथा प्रसार-वे आधार स्तम्भ हैं जिन पर प्रसारी सिद्धान्त खड़ा है।26. प्रसारी सिद्धान्त के यह दो-अवरक्त विस्थापन तथा प्रसार-वे आधार स्तम्भ हैं जिन पर प्रसारी सिद्धान्त खड़ा है। 27. यह समस्त गतियां ‘प्रसारी ' गतियों के अतिरिक्त हैं, अथार्त प्रसारी गतियों के कारणों से इन गतियों को नहीं समझा जा सकता। 28. इस स्फीति युग में, प्रसारी सिद्धान्त के अनुसार पर्याप्त मात्रा में ‘ शून्य-ऊर्जा घनत्व ' का अस्तित्व था। 29. पुराने प्रसारी सिद्धान्त के अनुसार उस अत्यधिक उष्ण तथा घनी स्थिति में कुछ विचित्र कणों तथा पिण्डों का निर्माण होना चाहिये था। 30. अब अधिकांश वैज्ञानिक प्रसारी ब्रह्माण्ड सिद्धान्त को निर्विवाद मानते हैं यद्यपि उसे भी संपुष्ट करने के लिये आगे बहुत कार्य करना है।