21. करेंगें और? यख़तिमु अद्दीना बिही कमा फ़तेह बिना? जिस तरह मेरे ज़रिये से दीने 22. बिही तोडने वाली लाठी ले ली और मेड पर चलने लगी-ऊबड ख़ाबड रास्ता,23. आयत 52:-फला तुतिअल्-काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा (कबीरन्) । 24. अभी तो इसी शब्द पर ही सवाल उठेगे किसके पास सम्प्रहुता होती है और कौन संप्रभुता बिही न. 25. साथ समय के बिही का भी पेड़ कटा सुख वाले दिन बीते, गाती गौरैया.-अरुण कुमार निगम 26. आयत 59:-अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन् (कबीरन्) । 27. आयत 58:-व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा) । 28. इसी सुकून के बीच धूप सेंकते हुए तुरंत तोड़ी हुई गदराई बिही (अमरूद) का स्वाद उठाते हुए नाना जी की लाइब्रेरी की याद आई। 29. बिही और जाम तो हमारे भी गाँव की भाषा के शब्द हैं, जिनका स्वाद जाम-बाड़ी के अमरुद से भी मीठा लगता है.30. लेकिन उस धन् य भागी बिही के पेड़ और निःशब्द आकाश ने इस निर्मल प्रेम की छवि निश्चित ही अपने अंतस में अंकित कर ली होगी।