इमाम शाफेई रहिमहुल्लाह कहते हैं: ” जब मुअज़्ज़िन ज़ोर आवाज़ वाला हो, और वह सुन सकता हो (अर्थात् बहरा न हो), आवाज़ें शांत हों (शोर न हो) और हवा भी न चल रही हो।
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और वह जगह जहाँ से आम तौर पर अज़ान सुनाई देती है, जबकि मुअज़्ज़िन ज़ोर आवाज़ वाला हो, ऊंचे स्थान पर खड़ा हो, हवा ठहरी हुई हो, आवाज़ें शांत हों और सुनने वाला गाफिल और असावधान न हो...
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ग़रज़ हर मुअज़्ज़िन जितनी बार अज़ान देता है उसके चार गुना बार एलानिया झूट चीख चीख कर बोलता है और हर नमाज़ी जितनी बार नमाज़ की नियत बाँधता है उसके चार गुना बार बुदबुदाते हुए झूट बोलता है, जो अनजाने में हर नमाज़ी पढता है.
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गरज हर मुअज़्ज़िन जितनी बार अज़ान देता है उसके चार गुना बार एलानिया झूट चीख चीख कर बोलता है और हर नमाज़ी जितनी बार नमाज़ की नियत बाँधता है उसके चार गुना बार बुदबुदाते हुए झूट बोलता है जो अनजाने में हर नमाज़ी पढता है.
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उस हदीस में की है जिसे अबदुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने की है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुनाः ” जब तुम मुअज़्ज़िन को अज़ान कहते हुए सुनो तो उसी तरह कहो जित तरह वह कहता है।
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अज़ान की सुब्ह से शाम तक की आवाज़ें सिर्फ मुस्लमान ही नहीं सारी दुन्या सुनती है और उस से आशना है, दुन्या में लाखों मस्जिदें होंगी, उन पर लाखों मुअज़्ज़िन (अजान देने वाले) होंगे, दिन में पॉँच बार कम से कम ये बावाज़ बुलंद दोहराई जाती है.
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बल्कि इब्ने माजा ने अपनी सुनन (हदीस संख्या: 1287) में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुअज़्ज़िन सअद अल-क़रज़ से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा: “ नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खुत्बा के बीच तक्बीर कहते थे, आप ईदैन के खुत्बा में अधिक तक्बीर कहते थे।
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अदब का खून होता है तो मेरी रूह रोती है अदब के साथ बेअदबी बहुत तकलीफ़ होती है (साहित्, आत्मा, सम्मानहीनता,असम्मान) इस्लाम की व्याख्या! आतंक के ग्रास बने तमाम मासूमों के नाम वक़्त फ़ज्र का मुअज़्ज़िन की सदा अस्सलातो-खैरुन-मिनन-नोम और तुम्हारा इस्लामिक बम आ गिरता है नमाज़ी-समेत मस्जिद हो जाती है शहीद।
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इमाम नववी कहते हैं: अज़ान सुनने में एतिबार इस बात का है कि: मुअज़्ज़िन शहर के किनारे (छोर पर) खड़ा हो, आवाज़ें शांत हों, हवा ठहरी हुई हो, और वह सुनने वाला हो, फिर अगर वह (अज़ान) सुनता है तो उस पर अनिवार्य हो जाता है, और अगर नहीं सुनता है तो उस पर अनिवार्य नहीं है।
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जैसाकि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने फरमायाः जब तुम मुअज़्ज़िन के आज़ान की आवाज़ सुनो तो वैसे ही कहो जैसा कि वह कहता है, फिर मुझ पर दरूद भेजो तो जिसने मुझ पर एक बार दरूद भेजेगा, अल्लाह उस पर दस बार दरूद भेजेगा फिर मेरे लिए अल्लाह से वसीला मांगो तो बेशक जन्नत में वह उच्च स्थान है जो अल्लाह के भक्तों में से किसी एक भक्त के लिए खास है और मुझे पूरी आशा है कि वह भक्त मैं ही होंगा।
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