21. इनके नज़दीक मारूफ़ वही है जिसको यह नेकी समझें और मुनकिर वही है जिसका यह इनकार कर दें। 22. वचन ७२-जो एक ईशवर को सब में नही देखता वह ईशवर हस्ती से मुनकिर है । 23. चला है धुंधगढ़ को काकिला बाराहजारी का मिला जो राह में मुनकिर उसे दे उसे दोजख में पहुचाया। 24. ” मुनकिर लोग कहते हैं कि बजुज़ हमारी इस दुनयावी हयात के और कोई हयात नहीं है. 25. जो लोग मुनकिर हैं और खुदाई दीन के माने हैं, बड़ी दूर कि गुमराही में जा पड़े हैं।” 26. जो लोग मुनकिर हैं और खुदाई दीन के माने हैं, बड़ी दूर कि गुमराही में जा पड़े हैं। 27. उसकी फ़रज़ीयत का मुनकिर काफ़िर है और जान-बूझकर छोड़ दे अगर चे एक वक्त की हो वह फ़ासिक़ है। 28. उसकी फ़रज़ीयत का मुनकिर काफ़िर है और जान-बूझकर छोड़ दे अगर चे एक वक्त की हो वह फ़ासिक़ है। 29. ‘‘क्या वह लोग जो मुनकिर हैं गौर नहीं करते कि ये सब आसमान व जमीन आपस में मिले हुए थे। 30. “और वह लोग खुदा के नेमत को पहचानते हैं, फिर इसके मुनकिर होते हैं, और ज्यादह तर इनमें न सिपास हैं।”