21. रचनाकारों ने अनारकली से लेकर अनारदाने तक का वर्णन लोक काव्य व लोक गीतों में बाखूबी से किया है। 22. मूलतः दोहो में रचित इस लोक काव्य को सत्रहवीं शताब्दी मे कुशलराय वाचक ने कुछ चौपाईयां जोड़कर विस्तार दिया। 23. (पृ.102) / निस्संदेह सामाजिक यथार्थवाद की सच्ची कविता लोक काव्य से ही उत्पन्न और विकसित होगी. 24. ' आल्हाखण्ड ' एक लोक काव्य है, जिसका रचयिता जगनिक या जगनायक नामक कोई भाट कवि माना जाता है। 25. अवधी सम्मेलन में परिचर्चा, सृजन संवाद, अवधी विभूतियों के सम्मान के साथ लोक काव्य संध्या का आयोजन भी होगा। 26. वक्ताओं का कहना था कि लोकगीत ऐसा लोक काव्य रूप है जिसके माध्यम से श्रमशील जनता अपना दुख-दर्द, हर्ष-विशाद, संघर्ष अभिव्यक्त करती रही है। 27. 100 वर्ष पूर्व बीकानेर क्षेत्र में होली एवं सावन आदि के अवसर पर होने वाली लोक काव्य प्रतियोगिताओं से ही इनका उद्भव हुआ है। 28. जो रचनाएँ इस समय मिलती हैं, दोनों ही रचनाएँ लोक काव्य की श्रेणी की हैं और दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों में बड़ी लोकप्रिय रहीं हैं। 29. वक्ताओं का कहना था कि लोकगीत ऐसा लोक काव्य रूप है जिसके माध्यम से श्रमशील जनता अपना दुख-दर्द, हर्ष-विषाद, संघर्ष अभिव्यक्त करती रही है। 30. 《 महान राजा कैसर 》 तिब्बती जाति का एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है, जिस में पौराणिक कथा, लोक काव्य तथा लोककथा आदि विषय शामिल हैं ।