21. ऐसे हालात में अवर न्यायालय के पारित आदेश दिनांकित 6-1-2010 में कोई विधिक त्रुटि नहीं पायी जाती है। 22. निम्न न्यायालय द्वारा प्रश्नगत आदेश पारित किरने में किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं की गई है। 23. प्रश्नगत आदेश पारित करने में निम्न न्यायालय द्वारा किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं की गई है। 24. अतः मेरी राय में विद्वान अवर न्यायालय के द्वारा आलोच्य आदेष पारित करके एक विधिक त्रुटि की गयी है। 25. इस प्रकार अवर न्यायालय द्वारा वाद विन्दु संख्या 1 का निस्तारण करने में कोई विधिक त्रुटि नहीं की है। 26. निम्न न्यायालय द्वारा प्रश्नगत आदेश दि0-19-1-09. पारित करने में किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं की गई है। 27. निम्न न्यायालय द्वारा प्रश्नगत निर्णय व आदेश पारित करने में किसी तरह की कोई विधिक त्रुटि नहीं की गई है। 28. प्रश्नगत आदेश में कोई विधिक त्रुटि नहीं पाई जाती है, इसलिए निगरानी स्वीकार किए जाने के पर्याप्त आधार नहीं है। 29. विद्वान अवर न्यायालय द्वा रा प्रश्नगत निर्णयादेश पारित करने में किसी प्रकार की कोई विधिक त्रुटि कारित नहीं की गयी है। 30. इन परिस्थितियों में भी जो उद्घोषणा वाद बिन्दु संख्या-2 में अपीलार्थी / वादी द्वारा चाही गई है, वह विधिक त्रुटि से पोषणीय नहीं है।