21. हरिऔध जी ने शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों ही को सफलता पूर्वक प्रयोग किया है। 22. शब्दालंकार के प्रमुख भेद है-१. अनुप्रास २. यमक ३. शेष23. शब्दालंकारः जहाँ शब्द चातुर्य के द्वारा काव्य का सौन्दर्यवर्द्ध किया जाता है वहाँ शब्दालंकार होता है। 24. वाग्भट्ट ने ४ शब्दालंकार , ३ ५ अर्थालंकार व नायक-नायिका भेद पर विस्तृत चर्चा की. 25. शब्दालंकारः जहाँ शब्द चातुर्य के द्वारा काव्य का सौन्दर्यवर्द्ध किया जाता है वहाँ शब्दालंकार होता है। 26. इस कांड में चार अधिकरण हैं: प्रथम अधिकरण में शब्दालंकार एवं अर्थालंकार के लक्ष्य हैं। 27. (1) शब्दालंकार के तीन भेद माने जाते हैं-(क) अनुप्रास अलंकार, (ख) श्लेष अलंकार और (ग) यमक। 28. लेकिन यह एक मात्र उभयालंकार है, अर्थात् इसमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं। 29. विषय पर आगे बढ़ने से पहले यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि श्लेष शब्दालंकार भी है और अर्थालंकार भी। 30. 1. शब्दालंकार -जहाँ शब्दों के विशिष्ट या चमत्कारिक प्रयोग द्वारा काव्य की शोभा में वृद्धि की जाए।