21. कमरे के अन्दर यद्यपि बहुत से शीशे लगे हैं मगर रोशनी सिर्फ एक शमादान और एक दीवारगीर की ही हो रही है। 22. महल से उसने देखा तो बाग की बारहदरी के ऊपर प्रकाश-पुंज दिखाई दिया क्योंकि हुस्न अफरोज ने सारे शमादान जला दिए थे। 23. कमरे में एक शमादान जल रहा था और भूतनाथ अन्दर वाले कमरे की ओर निगाह किये हुए बैठा कुछ सोच रहा था। 24. मोतीमहल के एक कमरे में शमादान जल रहा था और उसकी खुली खिड़की के पास बैठी सलीमा रात का सौंदर्य निहार रही थी। 25. भूतनाथ हाथ में शमादान लिए निचले खण्ड में उतर गया जहां उसके साथी दो आदमी हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मौजूद थे। 26. मोतीमहल के एक कमरे में शमादान जल रहा था और उसकी खुली खिडकी के पास बैठी सलीमा रात का सौंदर्य निहार रही थी। 27. बाग के बीचोबीच संगमरमर के एक साफ चिकने चबूतरे पर मोमी शमादान जल रहा था चन्द्रकान्ता, चपला और चम्पा बैठी बातें कर रही थीं। 28. इस समय वहां केवल एक शमादान की मद्धिम रोशनी हो रही थी, दोनों आदमी फर्श पर बैठ गए और यों बातचीत होने लगी- 29. पहर रात से ज्यादे जा चुकी थी जब वह औरत वहां से उठी और शमादान जो जल रहा था बुझा अपनी चारपाई पर जाकर लेट रही। 30. जब दारोगा को काफी नशा चढ़ गया तो हुस्न अफरोज ने कहा कि अब अँधेरा डरावना लगता है, कहो तो शमादान (मोमबत्तियों के पात्र) जला दूँ।