21. वे संभवतः खुद को शून्यवादी (नाईलिस्ट) कहते थे चूंकि “कुछ भी नहीं” ने उनकी आँखों में एक सम्मान प्राप्त कर लिया था. 22. जिस शून्यवादी व्याख्या के लिए बौध्द धर्म आज विख्यात है, वह नागार्जुन इत्यादि भगवान बुध्द के परवर्ती अनुयायियों की ही कृति है। 23. कला के अवमूल्यन की इस प्रवृत्ति के कारण कई लोगों ने दावा किया की डाडा अनिवार्य रूप से एक शून्यवादी (नाइलिस्टिक) आंदोलन था. 24. इसी आधार पर शून्यवादी कहते हैं कि सृष्टि के पूर्व शून्य था, अन्त में शून्य होगा, वर्तमान पदार्थ का अभाव होकर शून्य हो जाएगा। 25. प्रतीत्यसमुत्पाद की इस शून्यवादी व्याख्या के बाद ईश्वर का निषेध करने वाले बुद्ध को ही ईष्वर बना दिया गया, वे भी अवतारी हो गये। 26. उदाहरण के लिए, एक नैतिक शून्यवादी (नाइलिस्ट) कहेगा कि किसी को मारना, चाहे जो भी कारण हो, स्वाभाविक रूप से सही या गलत नहीं है. 27. प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने शून्यवादी दर्शन की स्थापना की थी जिसके मुताबिक सृष्टि में किसी पदार्थ की सत्ता नहीं है बल्कि शून्य की सत्ता है। 28. प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने शून्यवादी दर्शन की स्थापना की थी जिसके मुताबिक सृष्टि में किसी पदार्थ की सत्ता नहीं है बल्कि शून्य की सत्ता है। 29. तल्ख़ हालात और अपनी तबियत की संवेदना के कारण जॉन एलिया साब खुले अराजकतावादी-शून्यवादी हो गए थे, जिनकी सदा अपने परिवेश से लड़ाई रहने लगी थी। 30. तल्ख़ हालात और अपनी तबियत की संवेदना के कारण जॉन एलिया साब खुले अराजकतावादी-शून्यवादी हो गए थे, जिनकी सदा अपने परिवेश से लड़ाई रहने लगी थी।