21. शैलीविज्ञान एक ओर भाषाशैली का अध्ययन साहित्यशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर करता है, जिसमें रस, अलंकार, वक्रोक्त22. भारतीय विद्वान इन्हीं ग्रंथों का अनुगमन कर शैलीविज्ञान के स्वरूप को समझने एवं समझाने का प्रयास कर रहे है। 23. वस्तुतः शैलीविज्ञान सामान्य भाषा के आधार को तोङने के कारण उत्पन्न होने वाली सर्जनात्मक भाषा-व्यवहार की पक्षधर है। 24. भारतीय विद्वान इन्हीं ग्रंथों का अनुगमन कर शैलीविज्ञान के स्वरूप को समझने एवं समझाने का प्रयास कर रहे है। 25. सामान्य भाषा में डालियों के द् वारा संपादित इन क्रियाओं की ग्राहयता नहीं है, परंतु शैलीविज्ञान इनकी संपूर्ण ग्राहयता है। 26. साथ ही अनेकानेक ग्रंथ भी प्रकाशित हुए हैं, इन ग्रंथो में शैलीविज्ञान के स्वरूप को अत्यंत विस्तारपूर्वक समझाने का प्रयास किया है। 27. इसीलिए उन्हें समाजभाषाविज्ञान, शैलीविज्ञान , पाठ विश्लेषण, अनुवाद चिंतन और भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है. 28. साथ ही अनेकानेक ग्रंथ भी प्रकाशित हुए हैं, इन ग्रंथो में शैलीविज्ञान के स्वरूप को अत्यंत विस्तारपूर्वक समझाने का प्रयास किया है। 29. शैलीविज्ञान में कवि के द् वारा किए भाषा-प्रयोग में इसी बाध्यता के नियामक कारणों एवं उनके परिणामों का विश्लेषण किया जाता है।30. यही कारण है कि कुछ विद्वान शैलीविज्ञान को भाषाविज्ञान से जोड़ते हैं, कुछ साहित्य शास्त्र से तथा कुछ भाषाविज्ञान तथा साहित्यशास्त्र दोनो से।