21. श्रंगी को इसका रहस्य पता न चला अलवत्ता उन्होनें सोचा ये व्यवस्था प्रभु प्रदत्त है.22. तब ये चतुर वैश्या उस स्थान पर गयी जहाँ तपस्वी श्रंगी तप में लीन थे. 23. आँसूभरे दृगों में चिनगारियाँ सजा दे, मेरे शमशान में आ श्रंगी जरा बजा दे । 24. एक श्रंगी पशु का चित्र जो सबसे अधिक प्राप्त होता है शायद बहुत पवित्र पशु था। 25. नारी की निरंतर निकटता से श्रंगी में कामरस उमङने लगा और वे काम के वशीभूत होकर.. 26. उन्होंने फिर और ध्यान से दूर तक देखा और कहा-हे राजन एक श्रंगी ऋषि हैं । 27. उसी दौरान श्रंगी ऋषि, ओम ऋषि ने भी तपस्या के लिए इसी स्थान को चुना था। 28. स्थानीय निवासियो कहते है कि रामायण काल में श्रंगी ऋषि इस पर्वत पर साधना करते रहे है। 29. श्रंगी ऋषि स्थल (सांघण):-कैथल से पश्चिम की ओर 16 किलोमीटर दूर है गांव सांघण ।30. श्रंगी ने नियत समय पर आकर पेङ चाटा तो वहाँ कुछ नहीं था वे बहुत परेशान हुये..