21. तुम दोनों कितने भाग्यशाली हो! ” तब रूप को निकट बैठाकर उन्होंने सनातन का समाचार पूछा। 22. पर सनातन का अनुमान ठीक न थां जिस दिन से मदनगोपाल की उनके ऊपर दृष्टि पड़ी थी। 23. महाप्रभु ने साकर मल्लिक की ही जगह सनातन का नाम सनातन रखा इसका चैतन्य-भागवत में स्पष्ट उल्लेख है- 24. वह सब सनातन का व्यापार है और निकट भविष्य में वह सब बदलेगा ऐसी आशा भी नहीं है। 25. कहना सिर्फ इतना ही था कि सनातन का अर्थ होता है जो सदा से चला आ रहा हो। 26. इस प्रकार अपने भाग्य के सूर्य को अकस्मात् उदय होता देख सनातन का हृदय कमल आनन्द से खिल उठा। 27. वे सनातन का गुण्-गान करते जाते, पर बार-बार उनके कंधे पर रखे भोटे कम्बल की ओर देखते जाते। 28. सनातन शब्द जो है, जो सनातन धर्म कह रहे हैं, इस सनातन का अर्थ प्राचीनतम् होता है। 29. ज्यों-ज्यों सनातन का आकर्षण उनके प्रति बढ़ता जा रहा था, उनका आकर्षण भी सनातन के प्रति बढ़ता जा रहा था। 30. पुनश्च वेद का प्रामाण्य मानने वाला कोई भी विचार सनातन का विरोधि नही है अपितु सनातन वैचारिकी का ही एक भाग है।