21. यह सामाजिक लोकतंत्र में विश्वास करती है और पूंजीवादी व्यवस्था को अधिक संतुलित बनाना इसका लक्ष्य रहा है. 22. यह परिवर्तन आंशिक रूप से सामाजिक लोकतंत्र और वोट के जरिए पिछड़ी जातियों के उभार पर आधारित है। 23. डॉ. अंबेडकर ने सबसे बड़ी चुनौती भी याद दिलाई थी-‘ राजनैतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र में बदलना ' । 24. प्रजातंत्र के औपचारिक ढांचे का कोई महत्त्व नहीं है और यदि सामाजिक लोकतंत्र नहीं है तो वह वास्तव में अनुपयुक्त होगा। 25. 9 आम्बेडकर वास्तविक लोकतंत्र यानी सामाजिक लोकतंत्र के हिमायती थे, वे ऐसी स्थितियां चाहते थे जो लोकतंत्र के अनुकूल हों। 26. लोकतंत्र के औपचारिक ढांचे का कोई महत्व नहीं है और सामाजिक लोकतंत्र के अभाव में यह वास्तव में ही अनुपयुक्त हो जाएगा।” 27. लेकिन उनकी सफलता यह संकते देती है कि सामाजिक लोकतंत्र का तो भविष्य है लेकिन साम्यवाद का अब और नहीं. '' 28. लोकतंत्र के औपचारिक ढांचे का कोई महत्व नहीं है और सामाजिक लोकतंत्र के अभाव में यह वास्तव में ही अनुपयुक्त हो जाएगा। 29. लोकतंत्र के औपचारिक ढांचे का कोई महत्व नहीं है और सामाजिक लोकतंत्र के अभाव में यह वास्तव में ही अनुपयुक्त हो जाएगा।” 30. देश में सामाजिक लोकतंत्र के निर्माण से सबको स्वतंत्रता व वैभवशाली बनाते हुए विश्व शांति तथा सभी देशों के साथ मित्रता!