21. इनके अतिरिक्त सर्वकलाविद मूलदेव और अचल सार्थवाह श्रेष्ठी का नाम भी पाटलिपुत्र के संबंध में आया है। 22. इनके अतिरिक्त सर्वकलाविद् मूलदेव और अचल सार्थवाह श्रेष्ठी का नाम भी पाटलिपुत्र के संबंध में आया है। 23. ये लोग अपने लंबं-चौड़े व्यापारिक कारवां (सार्थवाह ) एशियाई देशों से योरप तक ले जाते थे। 24. २२ एक जातक में कहा गया है कि बोधिसत्व वाराणसी के एक सार्थवाह कुल में पैदा हुए थे। 25. श्रोत्रिय का कहना है कि वे ज्ञान और संस् कृति के सार्थवाह नहीं, लोकाकांक्षा के सहचर थे। 26. प्राचीनकाल में बड़े सार्थवाह के स्वामी, श्रेष्टिजनों के विशाल कोष्ठागार होते थे, ठीक आज के वेयर हाऊसों की तरह। 27. उज्जययिनी का निवासी सार्थवाह विप्रवर चारूदत्त इस प्रकरण का नायक है और दाखनिता के कुल में उत्पन्न वसंतसेना नायिका है। 28. [11] वाराणसी का एक सार्थवाह पाँच सौ गाड़ियों के साथ प्रत्यंत देश गया था और वहाँ से चंदन लाया था। 29. प्राचीनकाल में बड़े सार्थवाह के स्वामी, श्रेष्टिजनों के विशाल कोष्ठागार होते थे, ठीक आज के वेयर हाऊसों की तरह। 30. व्यापार एक निरन्तर प्रक्रिया थी सो व्यापारियों के कारवाँ वर्षाकाल को छोड़कर सालभर गतिशील रहते थे जिन्हें सार्थ या सार्थवाह कहते थे।