21. नाडि या नड का अर्थ बांसुरी भी होता है जो प्रसिद्ध सुषिर वाद्य है। 22. नाडि या नड का अर्थ बांसुरी भी होता है जो प्रसिद्ध सुषिर वाद्य है। 23. इन वाद्यों में तत्, धन, सुषिर तथा ब्रास वाद्योंका पारम्परिक प्रयोग आज भी प्रचलित है. 24. सुषिर वाद्यों में बाँसुरी, अलगोजा, शहनाई, तूर या तुरही, सिंगी (श्रृंगी)25. यहाँ से मध्यफलक के ऊपरी भाग में फैले हुए तंत्रिकातंतु झर्झरास्थि के सुषिर पट्ट ( 26. तन्त्री या तत् के अन्तर्गत सुषिर का ग्रहण नाट्य शास्त्र में अनेकानेकस्थलों पर किया गया है. 27. सुषिर वाद्यों पर तो कजरी की धुन इतनी कर्णप्रिय होती है कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।28. सुषिर वाद्य मुख्यतः मुँह से फूँक कर बजाये जाते है, सभी सुषिर वाद्य इसीवर्ग में आ जाते हैं.29. सुषिर वाद्य मुख्यतः मुँह से फूँक कर बजाये जाते है, सभी सुषिर वाद्य इसीवर्ग में आ जाते हैं. 30. यह एक ऐसा सुषिर वाद्य है जो लोक, सुगम से लेकर शास्त्रीय मंचों पर भी सुशोभित है।