21. स्मृतिकार और समाज रचना समाज की व्यवस्था का सही मूल्यांकन होता है उसकी स्थायी अवस्था से।22. स्मृतिकार और समाज रचना समाज की व्यवस्था का सही मूल्यांकन होता है उसकी स्थायी अवस्था से।23. इनके अलावा निम्न ऋषि भी स्मृतिकार माने गये हैं और उनकी स्मृतियाँ उपस्मृतियाँ मानी जाती हैं। 24. मृगेन्द्र भारती के अध्यक्ष कैलाश सोडानी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के स्मृतिकार है। 25. उपरोक्त ‘ लोकों से स्पष्ट है कि स्मृतिकार की दृष्टि में केवल विधिरहित वध का निषेध है। 26. ” अजी, जैसे-जैसे सामाजिक परिस्थितियाँ बदलती गयीं, स्मृतिकार भी उन्हीं के अनुरूप वचन बनाते गये। 27. और स्मृतिकार लोग जो व्यभिचार का इतना खुल्लमखुल्ला समर्थन कर गये हैं, उससे धक्का नहीं लगेगा? 28. पैठोनसिर्गोभिलश्चेत्युपस्मृतिविधायका: ॥ br / > अन्य 21 स्मृतिकार हैं-br / > वसिष्ठो नारदश्चैव सुमन्तुश्च पितामह: । 29. हमारे स्मृतिकार कहते हैं कि वही सनातन आर्य हैं, श्रेष्ठ है जो प्रार्थना के द्वारा जन्म लेती हैं। 30. धर्मशास्र को नवीन रुप दिया गया (यह वस्तुत: संकट की व्यवस्था थी) पर परवर्ती स्मृतिकार उसे आगे न बढ़ा सके।