21. वस्तुःत पुरोडाश या चरु यज्ञाग्नि पर पकाये हुए औषधीय हव्य पदार्थ को कहते हैं। 22. 1. मरुतों के गणों के लिये हव्य अर्पण करो (मारुताय शर्धाय हव्या भरध्वम, ऋ. 8।20।9)! 23. पुथल में अपने विचारों का ही नहीं वरन् अपने जीवन का भी हव्य किया । 24. (योगाग्नि) अग्नि हव्य सामिग्री के स्वरूप को भस्म करके तब्दील कर देती है। 25. तदुपरान्त ' वक्रतुण्डाय हुम् मन्त्र के साथ 108 आहुतियाँ देकर शेष हव्य की पूर्णाहुति करे। 26. और क्या मैं ने तेरे मूलपुरूष के घराने को इस्राएलियोंके कुल हव्य न दिए थे? 27. ब्राह्मण के मुख से देवता और पितर अपना हिस्सा (हव्य ) खाते हैं | 28. बाहरी (वैदिक) कर्म काण्ड में अग्नि हव्य सामिग्री को स्वाह कर डालती है। 29. 36 और उस में होमबलि यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिथे हव्य करके चढ़ाना; 30. गृहस्थ जीवन में हव्य के द्वारा देवगण तथा कव्य के द्वारा पितृजन की पूजा करनी चाहिए।