21. वत्सला से वज्र में ढल जाऊंगी, मैं नहीं हिमकण हूँ जो गल जाऊंगी। 22. हिमकण प्रकाश को प्रतिबिम्बित करते हैं, इसलिए ये सफ़ेद दिखाई देते हैं।23. दंभ के आकाश को छल जाऊंगी, मैं नहीं हिमकण हूँ जो गल जाऊंगी। 24. वत्सला से वज्र में ढल जाऊंगी, मैं नहीं हिमकण हूँ जो गल जाऊंगी.... 25. फिर स्वयं के ताप से जल जाऊंगी मैं नही हिमकण हूँ जो गल जाऊंगी| 26. को तिलांजलि दे दी, अपने बंधुजनों से नाता तोड़ा, जिसका हृदय हिमकण के समान 27. क्या कोई भी दो हिमकण सचमुच एक-से नहीं होते? आंकड़े इसके विरुद्ध हैं। 28. विंध्याचल सी अड़िग विभोर निर्मल सुशोभित तेरी काया शशि का तेज़ नेत्रों में हिमकण 29. विंध्याचल सी अड़िग विभोर निर्मल सुशोभित तेरी काया शशि का तेज़ नेत्रों में हिमकण ... 30. परिवर्तित होता तापमान और आर्द्रता का स्तर किसी हिमकण के आकार को जटिल बना सकते है।