31. बहिर्मुखता की प्रेरणा है पदार्थ जगत एवं अंतर्मुख ता की प्रेरणा है यथार्थ जगत । 32. वह धार्मिक तो होगा लेकिन ध्यान आदि अंतर्मुख करने वाले साधनों में उसे मजा नहीं आयेगा। 33. कभी कभी हमारा ध्यान अंतर्मुख होता है और हम एक नए लोक का दर्शन करते हैं। 34. भर्तृहरि तो और अंतर्मुख हो गये, ' यह सब सपना है और गुरुतत्त्व अपना है। 35. कभी कभी हमारा ध्यान अंतर्मुख होता है और हम एक नए लोक का दर्शन करते हैं। 36. इस प्रकार मन को अंतर्मुख करने व अन्तस्थ चैतन्य को जगाने में विग्रह सहायक होता है। 37. कभी कभी हमारा ध्यान अंतर्मुख होता है और हम एक नए लोक का दर्शन कते हैं। 38. कभी कभी हमारा ध्यान अंतर्मुख होता है और हम एक नए लोक का दर्शन कते हैं। 39. स्त्रिायों के सामने वे अंतर्मुख , चुप और लगभग स्त्रिायों से ज्यादा उनके सामने लजाने वाले इन्सान थे। 40. ' तुलसीदास ' निरालाजी की एक बड़ी रचना है जो अधिकांश अंतर्मुख प्रबंध के रूप में है।