31. बताते चलें कि अतिरिक्त मूल्य वसूले जाने का का बागेश्वर ही अकेला उदाहरण नहीं है। 32. यही अतिरिक्त मूल्य एक पूँजीवादी व्यवस्था में पूँजीपति वर्ग के मुनाफे का मूल होता है। 33. इस पूरे कालखण्ड में मुनाफे और अतिरिक्त मूल्य को हड़पने की भीषण होड़ निरंतर जारी रही। 34. पूँजीपतियों की पूँजी मज़दूरों की कई पीढ़ियों द्वारा सृजित अतिरिक्त मूल्य से ही संचित हुई है। 35. इस प्रकार से पैदा होने वाले अतिरिक्त मूल्य को निरपेक्ष बेशी / अतिरिक्त मूल्य या निरपेक्ष अधिशेष कहते हैं. 36. इस प्रकार से पैदा होने वाले अतिरिक्त मूल्य को निरपेक्ष बेशी / अतिरिक्त मूल्य या निरपेक्ष अधिशेष कहते हैं. 37. इसमें स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया है कि न्यूनतम मूल्य में उक्त अतिरिक्त मूल्य शामिल नहीं है। 38. इन उद्योगों में काम करने वाले मज़दूरों से उगाहे गये अतिरिक्त मूल्य का हस्तगतकर्ता जनता नहीं थी। 39. के लिए आवश्यक हैं जब एक व्यापार प्रक्रिया के लिए अतिरिक्त मूल्य पैदा करने की जरूरत है. 40. व्यवसाय के लिए कोर नहीं कर रहे हैं पर ध्यान केंद्रित द्वारा अतिरिक्त मूल्य पर कब्जा होगा.