31. पाचकनली के पेशीसमूह के संकोच (आंत्रगति) अनुकंपी से कम होते हैं और परानुकंपी से बढ़ते हैं। 32. एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के समय रोगी के स्वायत्त तंत्रिका तंत्र में अनुकंपी तंत्रिका तंत्र की वृद्धि हो जाती है। 33. इसमें एक दूसरे के विरुद्ध कार्य करनेवाली अनुकंपी (sympathetic) तथा सहानुकंपी (parasympathetic), दो प्रकार की तंत्रिकाएँ रहती हैं। 34. दूसरी ओर, संबंधित तंत्री की अनुकंपी प्रतिध्वनि की किसी गीत के लिए जरूरत हो सकती है जैसे गाथा-गीतिका. 35. परानुकंपी के तंतु वागस द्वारा पहुँचकर हृदय को रोकते हैं, अनुकंपी से हृदय की गति बढ़ती है। 36. अनुकंपी तंत्र के दो भाग हैं, एक कपाल (क्रेनियल) भाग और दूसरा त्रिक् (सैक्रल) भाग।37. भय, क्रोध, उत्तेजना, आदि का शरीर पर प्रभाव मस्तिष्क द्वारा अनुकंपी तंत्रिकातंत्र के नियंत्रण से पड़ता है। 38. अनुकंपी शृंखला करोटि गुहा से श्रोणि गुहा तक कशेरुक दंड के दोनों ओर रहती है तथा इसमें कई गुच्छिकाएँ (39. माइक्रोफोन द्वारा स्वीकार किया जा सकने वाला अधिकतम SPL (ध्वनि दाब स्तर) (Sound Pressure Level) कुल अनुकंपी विरूपण (Total Harmonic Distortion) 40. अनुकंपी शृंखला करोटि गुहा से श्रोणि गुहा तक कशेरुक दंड के दोनों ओर रहती है तथा इसमें कई गुच्छिकाएँ (ganglions) रहती हैं।