31. कुछ आत्मवादी आत्मा को ' अणु ' मानते हैं और दूसरे ' विभु ' कहते हैं। 32. उनके विचारों को उद्धृत किया जा रहा है-” आत्मवादी दार्शनिक आत्मा को अविनाशी मानते हैं। 33. उनके विचारों को उद्धृत किया जा रहा है-” आत्मवादी दार्शनिक आत्मा को अविनाशी मानते हैं। 34. ऐसे श्रमजीवी और परजीवी वर्गभेद वाले समाज में ही ऐसे आत्मवादी या प्रत्ययवादी दृष्टिकोण का उद्भवन होता है। 35. आत्मवादी रुप बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिस कारण मनुष्य के इस जनसंघर्षी रुप की अभिव्यक्ति हिन्दी कहानियों में हुई है।36. आत्मवादी रुप बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिस कारण मनुष्य के इस जनसंघर्षी रुप की अभिव्यक्ति हिन्दी कहानियों में हुई है।37. केवल उसके नाना अवतरण व उल्लेख हमें आत्मवादी दार्शनिकों की कृतियों में खंडन के लिये ग्रहण किये गये प्राप्त होते हैं ; 38. कृष्ण तर्क देते हैं, जब तक तुम समझते हो कि कोई मर सकता है,तब तक तुम आत्मवादी नहीं हो । 39. कृष्ण का यह तर्क है कि जब तक तू ऐसा मानता है कि कोई मर सकता है, तब तक तू आत्मवादी नहीं है। 40. देश की आन-बान, शान पर सब कुछ निछावर करने वाले स्वाभिमानी, सेनानायकों से कम नहीं, वरन् बढ़कर आत्मवादी होता है।