31. मौके पर पटवारी द्वारा सर्वे करते समय आबादकार को कोई सूचना नहीं दी गयी और न तो उसे बुलाया गया। 32. यह भी निर्विवाद है कि, प्रश्नगत चालान सुदा भूमि पर आबादकार का कब्जा है जिस पर उसने फसल बोई है। 33. आबादकार द्वारा आज तक जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया, जिससे स्पष्ट होता है कि उसे इस सम्बन्ध में कुछ नहीं कहना है।34. यह भी निर्विवाद है कि उक्त भूमि राजस्व अभिलेखों में आबादकार के नाम दर्ज नहीं है तथा राज्य सरकार की है। 35. चालानशुदा संपत्ति से किसी तरह का कोई फायदा अपीलार्थी / आबादकार पुष्करदत्त ने न तो उठाया है और न ही उसे क्षति पहुंचाई है। 36. विद्वान अवर न्यायालय ने आबादकार द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की अनदेखी की है तथा अपने आदेश में उसका कोई जिक्र नहीं किया है। 37. आबादकार ने सरकारी भूमि में न तो कोई स्थाई निर्माण किया है और न ही कोई फायदा उठाया है, केवल घास के सिवाय।38. उक्त चालानी रिपोर्ट के आधार पर आबादकार को आबादकार द्वारा अपना जबावदावा प्रस्तुत करते हुये कथन किया नोटिस प्रपत्र ' क' जारी किया गया। 39. उक्त चालानी रिपोर्ट के आधार पर आबादकार को आबादकार द्वारा अपना जबावदावा प्रस्तुत करते हुये कथन किया नोटिस प्रपत्र ' क' जारी किया गया। 40. इस प्रकार सर्वे करने पर आबादकार का खसरा नम्बर-1197 / 2 पर मकान-चौक बनाकर अनाधिकृत कब्जा पाया गया, जो संलग्न नक्शे में लाल रोशनाई से प्रदर्शित है।