31. प्रश्न यह है कि क्या हमारे पास कोई निश्चित तरीका है जिससे हम आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं? 32. हमनेइसीलिए विविध तरीकों से आर्थिक लोकतंत्र के आदर्श तक पहंुचने के लिए चिन्तनशील लोगों के लिए पर्याप्त स्थान छोडा है । 33. यह जरूरी नहीं कि राजनैतिक रूप से घोषित लोकतंत्रात्मक प्रणाली में वास्तविक रूप में सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र कायम ही हो। 34. उनका लोकतंत्र केवल राजनीतिक लोकतंत्र तक सीमित नहीं था बल्कि वे सामाजिक आर्थिक लोकतंत्र को भी साथ-साथ चलाने के हिमायती थे । 35. (आर्थिक लोकतंत्र शीर्षक के अन्तर्गत आये सभी उद्धरण दीनदयाल जी की पुस्तक भारतीय अर्थनीति: विकास की एक दिशा से लिये गये हैं) 36. अभी श्री दलित इजिलमलाई साहब ने आर्थिक, सामाजिक समता और आर्थिक लोकतंत्र की बात कही है, मैं उनकी बात का समर्थन करता हूं। 37. जब हमने राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना की है, तो हमारी यह भी इच्छा है कि आर्थिक लोकतंत्र का आदर्श भी स्थापित करें । 38. वस्तुतः लोकतंत्र मात्र चुनावों द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रणाली तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक लोकतंत्र, आर्थिक लोकतंत्र जैसे भी इसके कई रूप हैं। 39. वस्तुतः लोकतंत्र मात्र चुनावों द्वारा स्थापित राजनीतिक प्रणाली तक ही सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक लोकतंत्र, आर्थिक लोकतंत्र जैसे भी इसके कई रूप हैं। 40. ऐसे में ये कहना सही होगा कि देश को राजनीतिक लोकतंत्र तो कुछ हद तक हासिल हुया लेकिन आर्थिक लोकतंत्र का सपना साकार नहीं हो पाया।