31. (अ) शिव आर्यों के पूर्व भारत के मूल निवासियों, जंगली कबीलों तथा आर्येतर जातियों के देवता प्रारम्भ से रहे हैं। 32. यूरोप नहीं बचा सका बावजूद इसके, “ यूरोप की किसी भी इन्डो यूरोपियन भाषा को इतने अधिक आर्येतर प्रभाव नहीं झेलने पड़े। 33. जो बात वेदबाह्य और आर्येतर जातियां संस्कृत के माध्यम से नहीं कह पाई थीं, उन्हें जनभाषा में खूब जोर-शोर से कहा जाने लगा। 34. और अगर हजारी प्रसाद द्विवेदी की माने तो आज का हमारा सौंदर्यबोध जिन मूल्यों से बना है उनमें अधिकाँश आर्येतर या गैर ब्राह्मणीय है. 35. इन आर्येतर जनजातियों में भी आपसी संघर्ष विद्यमान थे अन्यथा सुग्रीव को बाली का वध करने के लिये राम की आवश्यकता ही नहीं थी? 36. आर्येतर भाषा-भाषी कुछ कबीले बीहड़ घने जंगलों की शरण लेने पर बाध्य हो गए थे लेकिन अध्सिंख्य आर्य भाषा-भाषियों के रंग में रंगते चले गए।37. और अगर हजारी प्रसाद द्विवेदी की माने तो आज का हमारा सौंदर्यबोध जिन मूल्यों से बना है उनमें अधिकाँश आर्येतर या गैर ब्राह्मणीय है. 38. अपने धर्म और संस्कृति के प्रसार के लिए उन्हें पूर्व और दक्षिण के आर्येतर भाषा-भाषियों के बीच जाना पड़ा और उनसे वैवाहिक संबंध् भी स्थापित करने पड़े। 39. डॉ. नर्मदाप्रसाद गुप्त के द्वारा लिखा गया है कि यहाँ की लोक संस्कृति पुलिंद, निषाद शबर, रामठ, दाँगी आदि आर्येतर संस्कृतियों के द्वारा प्रभावित थी। 40. वास्तविकता यह है कि आर्थिक तथा सामाजिक विषमताओं के कारण आर्य और आर्येतर , दोनों के अंदर श्रमिक समुदाय का उदय हुआ और ये श्रमिक आगे जाकर शूद्र कहलाए।