31. योग् य लडकों के अभाव से समाज में तिलक और दहेज जैसी कुप्रथाएं बढीं, जिससे युवतियां भी प्रभावित हुईं। 32. हालांकि आज भी हिंदू समाज में अनेक कुप्रथाएं और कुरीतियाँ हैं लेकिन हम उन्हें गलत कहने का साहस तो करतें हैं. 33. दरअसल गांवों में फैली अज्ञानता और शिक्षा की कमी के कारण इस तरह की कुप्रथाएं आज भी शान से कायम है. 34. माया सभ्यता के लोग भले ही खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखते हों, लेकिन झाड़-फूंक और बलि जैसी कुप्रथाएं भी उनके समाज में थीं। 35. सामाजिक स्तर पर भी जो कुप्रथाएं हैं और उसकी वजह से जो भ्रष्टाचार है, उसे किसी कानून से खत्म करना मुमकिन नहीं है। 36. वहीं, हमारे हिंदू धर्म की कुछ ऐसी कुप्रथाएं भी हैं जो कि उनके इस कुत्सित मानसिकता के लिए पोषण का काम करती हैं। 37. माया सभ्यता के लोग भले ही खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखते हों, लेकिन झाड़-फूंक और बलि जैसी कुप्रथाएं भी उनके समाज में थीं। 38. सामाजिक स्तर पर भी जो कुप्रथाएं हैं और उसकी वजह से जो भ्रष्टाचार है, उसे किसी कानून से खत्म करना मुमकिन नहीं है। 39. दिलचस्प बात तो यह है कि सरकार की नाक के नीचे यह कुप्रथाएं फल-फूल रही हैं और इनके खिलाफ कुछ नहीं किया जा रहा.. 40. महिलाओं से भेदभाव करने वाली कुप्रथाएं बाल विवाह, टोनही प्रथा आदि समाप्त करनी होगी तब ही एक स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होगा।