31. एक चंद्र मास में सूर्य एक बार राशि परिवर्तन करता है अर्थात एक सौर मास में जिस प्रकार एक अमावस्या एवं एक पूर्णमासी होती है। 32. इस प्रकार सौर वर्ष एवं चंद्र वर्ष की समयावधि अंतर के कारण प्रत्येक ढाई से तीन वर्ष के अंतराल में एक अधिक चंद्र मास होता है। 33. तिथियों के क्षय होने का कारण यह है कि एक चंद्र मास के लगभग २ ९ १ / २ दिन होते हैं और तिथियाँ ३ ० होती हैं। 34. हर चंद्र मास के चौदहवें दिन, शिवरात्रि आती है, तथा ध्यानलिंग मंदिर में शाम 5:40 और 6:10 के बीच पंच भूत आराधना का अनुभव करने का अवसर मिलता है। 35. १ ८ ३ ० सावन दिनों को ६ २ चंद्र मास से भाग देने पर पता चलता है कि वेदांग-ज्योतिष के अनुसार एक चंद्र मास में २ ९. 36. १ ८ ३ ० सावन दिनों को ६ २ चंद्र मास से भाग देने पर पता चलता है कि वेदांग-ज्योतिष के अनुसार एक चंद्र मास में २ ९. 37. ढाई से तीन वर्ष में यह अंतर एक चंद्र मास के बराबर हो जाता है इस कारण एक प्रत्येक ढाई से तीन वर्ष के अंतराल में एक अधिक मास होता है। 38. तथा उस सौर मास में होने वाली दूसरी अमावस्या से इसी चंद्र मास की पुनरावृत्ति होती है और उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 चंद्र मास हो जाते हैं। 39. तथा उस सौर मास में होने वाली दूसरी अमावस्या से इसी चंद्र मास की पुनरावृत्ति होती है और उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 चंद्र मास हो जाते हैं। 40. इसे दूसरी तरह से भी देखा जा सकता है-60 सौर माह = 5 वर्ष = 62 चंद्र मस इसी कारण प्रत्येक ढाई वर्ष के पश्चात एक अतिरिक्त चंद्र मास होता है।