31. “सरस्वती पूजा समिति ' नाम की खाकी ज़िल्द वाली हरी-नारंगी रसीद-बुक लेकर हमारी टोली निकल पड़ती चंदा उगाहने। 32. ये मुझसे घी के परांठों, किताबों की ज़िल्द , मच्छरदानी खोलने, लगाने पर लड़ते हैं। 33. वो रामायण कि जिसकी ज़िल्द पर जाले पुरे हैं तुम्हें ममता-भरे स्वर में अभी भी टेरती है। 34. हम हर रोज़ लड़ते हैं अपनी ज़िल्द को असली बताते हुए आपस में झगडते हैं दीपक ' मशाल ' 35. ' सरस्वती पूजा समिति ' नाम की खाकी ज़िल्द वाली हरी-नारंगी रसीद-बुक लेकर हमारी टोली निकल पड़ती चंदा उगाहने. 36. (१. मसनवी मानवी, ज़िल्द छठी, १ ८ ९ ६-२ ०० ०, २. 37. अंतिम पड़ाव पर ठहर जाना सब कुछ लिपटा है पाकीज़ा ज़िल्द में है तैयार होने को अनावृत्त बीच से खोल कर 38. अफ़सोसनाक है कि ज़िल्द जो खुदाई कारीगरी का नमूना है, खुदा के बंदों के लिए जिल्लत की बायस बनी है। 39. भाषायी तेवर की मिसालें ही अगर देना चाहें तो अपन ‘ख्वाब के दो दिन ' की समूची ज़िल्द ही कोट कर देंगे । 40. ऐसे ही कैलेंडर को उलटकर मम्मी हमारी किताबों में ज़िल्द लगाती थीं, ताकि सालभर तक कवर की हुई किताबें फटें नहीं।