31. हिंदी का स्वरूप थोडा-बहुत बदल रहा है और बदलना चाहिए भी क्योंकि वह एक जीवित भाषा है. 32. आपका कथन सही है कि जीवित भाषा में जो भाषा-लय के साथ प्राकृतिक हो वही विदेशज बन जाता है। 33. हिंदी का स्वरूप थोडा-बहुत बदल रहा है और बदलना चाहिए भी क्योंकि वह एक जीवित भाषा है. 34. जो भाषा किसी समुदाय द्वारा दैनिक भाषायी व्यवहार के लिये प्रयोग में लायी जाती है वह जीवित भाषा कहलाती हैं । 35. मुझे विश्वास हो गया कि हिन्दी एक जीवित भाषा है और इन सबके होते हुए कभी भी लुप्त नहीं होगी । 36. मुझे विश्वास हो गया कि हिन्दी एक जीवित भाषा है और इन सबके होते हुए कभी भी लुप्त नहीं होगी । 37. शायद इसीलिए प्रेमचंद ने अपने एक व्याख्यान में कहा था, ” जीवित भाषा तो जीवित देह की तरह बनती है. 38. दक्षिण भारत राष्ट्रभाषा प्रचार सभा के एक व्याख्यान में उन्होंने कहा था ' ' जीवित भाषा तो जीवित देह की तरह बनती रहती है। 39. दक्षिण भारत राष्ट्रभाषा प्रचार सभा के एक व्याख्यान में उन्होंने कहा था ' ' जीवित भाषा तो जीवित देह की तरह बनती रहती है। 40. जिस तरह एक शरीर में कोशिकाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं उसी तरह एक जीवित भाषा में भी शब्द बनते बिगड़ते और बाहर होते रहते हैं.