31. इन्हीं संभावनाओं के अनुसार उपयोगितावादी दृष्टिकोण द्विविध हैं-(1) भय अथवा आत्मरक्षामूलक और (2) स्वार्थमूलक। 32. सृजन और ध्वंस की द्विविध प्रक्रियाओं का अवलम्बन लेने से ही सुव्यवस्था बन पाती है । 33. इन्हीं संभावनाओं के अनुसार उपयोगितावादी दृष्टिकोण द्विविध हैं-(1) भय अथवा आत्मरक्षामूलक और (2) स्वार्थमूलक। 34. किन्तु स्वभावतः एक सम्प्रदाय में ऐसा द्विविध कल्प बहुत समय तक चल सकना संभव नहीं था। 35. ईश्वर और उसका यह द्विविध स्वरूप प्रधानतया श्रुति तथा श्रुति-अनुकूल अनुमान के आधार पर निर्धारित करते हैं। 36. निम्बार्क के सनकादि या हंस-सम्प्रदाय में कृष्ण-ब्रह्म की अचिन्त्य शक्ति को द्विविध बताया गया है-ऐश्वर्य और माधुर्य। 37. उन्होंने इस द्विविध सत्य को स्वीकार किया कि स्थाणु रूप शिव और गतिशील काली दोनों ही सत्य हैं। 38. उन्होंने इस द्विविध सत्य को स्वीकार किया कि स्थाणु रूप शिव और गतिशील काली दोनों ही सत्य हैं। 39. ऋग्वेद के अत्यन्त प्राचीन युग से ही भारतीय विचारों में द्विविध प्रवृत्ति और द्विविध लक्ष्य के दर्शन हमें होते हैं। 40. ऋग्वेद के अत्यन्त प्राचीन युग से ही भारतीय विचारों में द्विविध प्रवृत्ति और द्विविध लक्ष्य के दर्शन हमें होते हैं।