31. उपख्यानात्मक रिपोर्टों के अनुसार महिलाओं का कहना है कि नाभि रज्जु वाली दवा के सेवन से उन्हें प्रसव पश्चात उदासी, अवसाद और चिंता में आराम मिला. 32. कुछ परिवारों के नाभि रज्जु को जन्म का विशेष हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इसने कई महीनों तक बच्चे के जीवन को सहारा दिया होता है. 33. यह पाया गया कि नाभि रज्जु को बाँधने के समय से माता की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता, परन्तु बच्चे की स्थिति में फर्क पड़ता है. 34. नाभि रज्जु रक्त के, कई सारे निजी और सार्वजनिक बैंक हैं जो दोनों, बच्चे के स्वयं के लिए अथवा दान देने के उद्देश्य से बने हुए हैं.35. नाभि रज्जु रक्त के, कई सारे निजी और सार्वजनिक बैंक हैं जो दोनों, बच्चे के स्वयं के लिए अथवा दान देने के उद्देश्य से बने हुए हैं.36. इसका तात्पर्य प्रसव के तुरंत बाद [11] से हो सकता है, अथवा नाभि रज्जु [12] के निकल आने के तुरंत बाद वाले घंटों से भी हो सकता है. 37. यह पाया गया कि नाभि रज्जु को बाँधने के समय से माता की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता, परन्तु बच्चे की स्थिति में फर्क पड़ता है. 38. इस अवस्था में नाभि रज्जु को बांधा जाता है और काटा जाता है, परन्तु अगर इसे बांधा ना भी जाए तो भी यह स्वाभाविक रूप से बंद हो जाती है. 39. इस अवस्था में नाभि रज्जु को बांधा जाता है और काटा जाता है, परन्तु अगर इसे बांधा ना भी जाए तो भी यह स्वाभाविक रूप से बंद हो जाती है. 40. हाल ही में, ऐसे जन्म परिचारकों की श्रेणी उभरी है जो नाभि रज्जु को कैप्सूल में डाल कर प्रसव पश्चात माताओं को नाभि रज्जु दवा के रूप में देते हैं.